🚩🚩राधा कृष्ण जी🚩🚩
🙏हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे🙏
🚩हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे🚩
॥मुझे चरणों से लगा ले मेरे श्याम मुरली वाले॥
मुझे चरणों से लगा ले,
......मेरे श्याम मुरली वाले,
मेरी स्वास-स्वास में तेरा,
है नाम मुरली वाले....…
भक्तों की तुमने कान्हा,
विपदा है टारी,
मेरी भी बाह थामो,
आ के बिहारी,
बिगड़े बनाए तुमने,
हर
काम मुरली वाले,
मुझे चरणों से लगा
ले मेरे श्याम मुरली वाले…
पतझड़ है मेरा जीवन,
बन
के बहार आजा,
सुन ले पुकार कान्हा,
बस
एक बार आजा,
बैचैन मन के तुम्हीं,
आराम
मुरली वाले,
मुझे चरणों से लगा
ले मेरे श्याम मुरली वाले…
तुम हो दया के सागर,
जन्मों
की मैं हूँ प्यासी,
दे दो जगह मुझे भी,
चरणों
में बस जरा सी,
सुबह तुम्हीं हो, तुम्हीं ही,
मेरी श्याम मुरली वाले,
मुझे चरणों से लगा ले ,
मेरे श्याम मुरली वाले…
मुझे चरणों से लगाले,
मेरे श्याम मुरली वाले,
मेरी स्वास स्वास में तेरा,
है नाम मुरली वाले…
हारा हूँ बाबा,
पर तुझपे भरोसा है,
जीतूगा एक दिन,
मेरा दिल ये कहता है,
मेरे माजी बन जाओ ,
मेरी नाव चला जाओ,
बेटे को बाबा श्याम,
गले लगा जाओं,
हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है॥
हारा हूँ बाबा,
पर तुझपे भरोसा है,
जीतूगा एक दिन,
मेरा दिल ये कहता है,
मेरे माजी बन जाओ,
मेरी नाव चला जाओ,
बेटे को बाबा श्याम,
गले लगा जाओं,
हारा हूँ बाबा पर तुझपे भरोसा है॥
गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
गोविन्द बोलों हरी गोपाल बोलो ||
भगवद् गीता आरती
जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥
कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्तिहरा ।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा ॥
जय भगवद् गीते...॥
निश्चल-भक्ति-विधायिनि,
निर्मल मलहारी ।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुखकारी ॥
जय भगवद् गीते...॥
राग-द्वेष-विदारिणि,
कारिणि मोद सदा ।
भव-भय-हारिणि,
तारिणि परमानन्दप्रदा ॥
जय भगवद् गीते...॥
आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनि तम रजनी ।
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी ॥
जय भगवद् गीते...॥
समता, त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी ।
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी ॥
जय भगवद् गीते...॥
दया-सुधा बरसावनि,
मातु! कृपा कीजै ।
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै ॥
जय भगवद् गीते...॥
जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥
।।श्री भगवत भगवान की है आरती।।
श्री भगवत भगवान की है आरती,
ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ,
ये पंचम वेद निराला,
नव ज्योति जलाने वाला।
हरि नाम यही हरि धाम यही,
यही जग मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती...॥
ये शान्ति गीत पावन पुनीत,
पापों को मिटाने वाला,
हरि दरश दिखाने वाला।
यह सुख करनी,
यह दुःख हरिनी,
श्री मधुसूदन की आरती,
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती...॥
ये मधुर बोल,
जग फन्द खोल,
सन्मार्ग दिखाने वाला,
बिगड़ी को बनानेवाला।
श्री राम यही,
घनश्याम यही,
यही प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तारती॥
॥ श्री भगवत भगवान की है आरती...॥
श्री भगवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
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"Competition का अब नहीं है डर , जिसके साथ हो Competition मिरर ।" जीवन में आसानी से सफ़लता पाने के लिए किताबों से दोस्ती होना जरूरी हैं । चाणक्य कथन ,"किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना |"
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